लेखनी प्रतियोगिता -06-Mar-2022 - मेरा परिवार
मेरे परिवार की क्या बात बताऊँ,
आओ तुमको एक किस्सा सुनाऊँ |
जा रहे थे घूमने परिवार के साथ ,
बहुत समय पहले की है यह बात |
छोटे थे हम तब बहुत ही ज्यादा ,
पापा के सामने बनते हम ही प्यादा |
जिसको भी बात अपनी मनवानी होती,
आगे हमें करके उनकी मनमानी होती |
क्या करें पापा की हम थे बड़े लाडले,
हमारे सामने पापा की भी न चले |
मम्मी को जाना था शाकुंभरी देवी ,
बस थी जाती पास से महीने में एक बारी |
पापा से बोला था हमारी मम्मी ने ,
रात का सफर नहीं करेंगे कहा उन्होंने |
खैर हमसे फिर कहलवाया गया ,
पापा को जाने के लिए मनवाया गया |
तैयार हो गए पापा कहने पर हमारे ,
मम्मी थी खुश हमने उनके काज सवारें |
गए थे जब हम तीरथ पर ,
बस में अंकल कि हम बैठकर |
दिल्ली से शाकुंभरी देवी का सफर ,
तब तो पड़ता था बीच में जंगल |
दर्शन मैय्या के खुल कर खूब हुए थे ,
उन्माद में हम सब भरे हुए थे |
रात थी गहरी बड़ी आ रहे थे ख्वाब ,
आते समय बस हुई जंगल में खराब |
अजीब अजीब आवाजें आ रही थी ,
जान सब की सूखी जा रही थी |
चार गुंडों की टोली सामने आ गई ,
पर तीस लोगों को देख घबरा गई |
लोगों ने डंडों से उनकी कर दी ठुकाई ,
सबने मिलकर उनको अपनी ताकत दिखाई |
सारी रात डरते डरते फिर भी निकली ,
तड़प रहे थे हम जैसे जल बिन मछली |
पापा मम्मी पकड़े रहे हमारा हाथ ,
नहीं छोड़ा एक पल भी उन्होंने साथ |
परिवार की ताकत को पहचाना उस दिन,
रात का सफर नहीं करना माना उस दिन ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Seema Priyadarshini sahay
07-Mar-2022 05:22 PM
बहुत खूबसूरत
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Punam verma
07-Mar-2022 09:25 AM
Nice
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Abhinav ji
07-Mar-2022 08:30 AM
Nice👍
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